Friday, June 2, 2023
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मानसिक रोगों को बिना दवाओं के कैसे ठीक करें | How to Treat Mental Illness without Medication in Hindi

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मानसिक रोगों को बिना दवाओं के कैसे ठीक करें How to Treat Mental Illness without Medication in Hindi

इन्द्रियों में सबसे श्रेष्ठ स्थान रखने वाला मन ही है। ये इतना मजबूत होता है कि बाकी सभी इन्द्रियों को अपने अनुसार चलाने का दम रखता है। यदि इसमें कोई विकार उत्पन्न हो जाए तो शरीर और मस्तिष्क दोनों पर बुरा असर पड़ता है। भारत में एक सर्वे के अनुसार ये पाया गया है कि 60% लोगों को ये पता ही नहीं होता कि उन्हें कोई मानसिक बीमारी है। क्यूंकि लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता कम है।

इ-बुक जिसमें लगभग हर छोटी-मोटी बीमारी का इलाज बताया गया है

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मानसिक रोग की परिभाषा हिंदी में (Mental Illness Definition in Hindi)

मानसिक रोग मन के अनुकूल वस्तुओं के न मिलने से और न चाहने वाली अप्रिय वस्तुओं के प्राप्त होने से होते हैं। ये एक ऐसी अवस्था जहाँ मनुष्य की सोचने और महसूस करने की क्षमता प्रभावित होती है। यदि मनुष्य मानसिक रूप से अस्वस्थ है तो वह ख़ुशी की बात सुनकर भी खुश नहीं होगा। मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के लिए अपने दिनभर के कार्य करना, फैमिली को संभालना या अन्य सामाजिक कार्य करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

मानसिक बीमारी के प्रकार

मानसिक रोग कई प्रकार के होते हैं। अक्सर जब कोई व्यक्ति किसी मानसिक रोगी को देखते हैं तो उसके लिए गलत शब्दों का प्रयोग भी कर देते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए क्यूंकि मानसिक रोगों के बारे में लोग इतने अभी जागरूक नहीं हैं।

1. डिप्रेशन –
2. अनियंत्रित जुनूनी विकार (Obsessive Compulsive Disorder) –

इस मानसिक विकार में रोगी का बार-बार एक ही काम करने का मन करता है।

इसके लक्षण –

  • जैसे बार-बार हाथ धोना
  • बार-बार हाथों पे गिनती करते रहना
  • घर के समान को एक स्पेसिफिक आर्डर में रखना
  • एक ही शब्द या हरकतों को बार-बार करते रहना
3. स्किज़ोफ्रेनिआ (Schizophrenia) –

ये एक बहुत ही गंभीर मनोरोग माना जाता है। इसमें व्यक्ति को भ्रम रहता है कि आस-पास के लोग उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।

लक्षण –

  • बहुत अधिक गुस्सा आना
  • कभी-कभी घर से भाग जाना
  • नींद नहीं आना
  • अकेले रहते समय कानों में आवाज़ आना
4. बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder)

ये भी बहुत ही खतरनाक मानसिक बिमारियों में से एक है। इस प्रकर के मानसिक रोग में पहले रोगी उदास रहता है और फिर कुछ दिनों बाद अति उत्साहित हो जाता है। ये भी दो प्रकार के होते हैं और उनके लक्षण इस प्रकार हैं –

लक्षण –

5. बहुत डर लगना (Phobia) –

ऐसा नहीं है कि ये कोई बहुत गंभीर मनोरोग है। इसमें बस मनुष्य को किसी एक चीज से बहुत डर लगने लग जाता है जैसे ऊंचाई से, लिफ्ट में जाने से, पानी से आदि।

लक्षण –

  • धड़कन का तेजी से चलना
  • डर और घबराहट
  • शरीर में कम्पन होना
  • उल्टी होना
  • बेहोश होकर गिर जाना

मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण (Characterstics of a Mentally Healthy Person in HIndi)

मानसिक स्वास्थ्य होने पर व्यक्ति की पूर्ण रूप से मानसिक स्थिति सामान्य होती है। जैसे मान लीजिये जीवन में कोई खराब स्थिति आने पर भी वह अपने-आप को संभाल लेगा। और ज्यादा ख़ुशी होने पर भी वह सामान्य ही रहेगा मायने over-excited नहीं होगा।

लक्षण –

  • अपनी अच्छाइयों और बुराइयों को अच्छे से जानता है और उनका मूल्यांकन करता रहता है।
  • परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढाल लेना। किसी भी स्थिति में संतुलन बना लेना।
  • अपने जीवन को संतुलित करने के लिए नियम बनता है और उन्हीं नियमों का पालन करता है।
  • वह जो कार्य करता है पूरे मन से करता है और संतुष्ट रहता है।
  • हमेशा वर्तमान में जीता है और काल्पनिक दृश्यों से दूर रहता है।
  • वे अपनी क्षमताओं को अच्छे से जानकार उसी के अनुसार ही कार्य करता है।
  • मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के समाज में अच्छे रिश्ते होते हैं और वे सभी के साथ मित्रता रखता है।
  • उसे अपने लक्ष्यों का पूर्ण ज्ञान होता है और उन्हें हासिल करने के लिए मेहनत करता है।
  • वह व्यक्ति आत्मविश्वास से भरपूर होता है। न तो उसमें अति-आत्मविश्वास होता है और न ही कम।
  • वह अपने जीवन में विभिन्न पहलुओं के बीच संतुलन बनाकर चलता है।

मानसिक बीमारी की गलतफहमी (Misconception of Mental Illness in Hindi)

समाज में अभी कुछ ऐसी गलतफहमियां फैली हुई हैं जिससे लोग ये समझते हैं कि मानसिक रोग कुछ नहीं होता ये तो पिछले जन्मों के बुरे कर्म का नतीजा है या कोई ये कहता है कि रोगी के अंदर कोई भूत-प्रेत घुस गया है। ऐसे कुछ अन्य भ्रम हैं जिनपे प्रकाश डालते हैं –

स. भ्रम
1लोगों को लगता है कि हर मानसिक रोगी अजीबो-गरीब हरकतें करते हैं लेकिन ये सत्य नहीं है
2मानसिक रोगी खतरनाक होते हैं ये भी भ्रम है
3मानसिक रोग कभी ठीक नहीं हो सकते। ऐसा नहीं है यदि पूरा इलाज किया जाए तो मानसिक रोग पूर्णतया ठीक हो जाता है
4मानसिक बीमारी वंशानुगत(hereditary) है। जी नहीं ये जरूरी नहीं है कि मानसिक रोगी का बच्चा भी मानसिक रोगी हो।
5कई बार लोग सोचते हैं कि मानसिक रोगी की शादी करा दो ठीक हो जाएगा। ये बहुत बड़ा भ्रम है जैसे कहते थे कि शादी करा दो शराब छोड़ देगा। ऐसा नहीं होता।
6कुछ लोग मानते हैं की मानसिक रोगी के अंदर भूत-प्रेत घुस गया है ये पूर्णतया गलत है।
7बच्चों को मानसिक परेशानी नहीं हो सकती। ऐसा नहीं है कुछ केसेस में बच्चों को भी मानसिक परेशानी से गुजरते पाया गया है
8पुनर्जन्मों के कर्मों की सजा है मानसिक रोग। जी नहीं ये भी भ्रम है।
9एक बार यदि कोई मानसिक रोगी हो गया तो वो जीवन भर मानसिक रोगी ही रहेगा। ये भी गलत है मानसिक परेशानी पूर्णतया ठीक की जा सकती है।

बिना दवाओं के मानसिक रोग का इलाज कैसे करें (How to Treat Mental Illness without Medication in Hindi)

देखिये ये निर्भर करता है कि आप मानसिक रोग की कौनसी स्थिति से गुजर रहे हैं। उस अनुसार आपका इलाज किया जाता है।

ध्यान (Meditation)

ध्यान के माध्यम से मन स्थिर हो जाता है। दिमाग में जो रसायन मौजूद होते हैं, उन्हें संतुलित रखने में ध्यान काफी अहम भूमिका निभाता है। मन में आने वाले नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण पाने में ध्यान बहुत ही उपयोगी है। इसे करने के कई तरीके हैं लेकिन एक सरल तरीका ( How to Treat Mental Illness without Medication in Hindi ) आपको बताता हूँ –

करने का तरीका – ध्यान को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में करने से लाभ अधिक होता है। आपको किसी शांत कमरे में जहाँ मच्छरों का आक्रांत न हो और बाहर की आवाज़ भी न आती हो। कम्बल का आसन लें और उसपर सुखासन या अर्धपद्मासन में बैठ जाएँ। इसके बाद अपनी साँसों का पीछा करें, ध्यान रहे कि सांस को सिर्फ फॉलो करना है, धक्के से नहीं अंदर-बाहर करना है। कुछ ही दिन ऐसा करने से आप अपने मन पर पूर्णतया नियंत्रण पा लेंगे और सभी प्रकार के मानसिक रोग आपका पीछा छोड़ देंगे।

तेल मालिश भी करती है मस्तिष को शांत

आयुर्वेद में तेल मालिश का बहुत ही महत्व बताया गया है। इसे करने से वात को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। वायु के प्रकुपित होने पर जब वो ऊपर की और चढ़ती है तो मस्तिष्क सम्बन्धी बिमारियों का जन्म होता है। इसलिए तैलाभ्यंग अवश्य करें।

कैसे करें – हफ्ते में 2 बार सुबह नहाने से पहले सरसों के तेल से पूरे शरीर पर मसाज करें। इससे शरीर में तरावट के साथ-साथ मस्तिष भी शांत होगा और साथ ही शरीर दृढ़ और स्वस्थ बनेगा।

किसी रचनात्मक कार्य में मन लगाएं

कभी भी खाली न बैठें। जब भी आपके पास करने को कुछ न हो तब भी आप नए-नए आइडियाज के बारे में सोचें नहीं तो नकारात्मक विचार आपको घेर लेंगे और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इसलिए आपका जिस चीज में इंटरेस्ट हो उसके बारे रिसर्च करें और अपना दिमाग लगाकर किसी नए उत्पाद को बनाये ताकि आपका मन कहीं न कहीं और किसी अच्छे कार्य में लगा रहे। इससे भी अपने मानसिक विकारों को ठीक कर सकते हो।

अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताएं

आप किसी भी समस्या में हो उसे अपने परिवार वालों के साथ या मित्रों के साथ शेयर अवश्य करें नहीं तो कोई बात जो आपको परेशान कर रही है उससे आपके मन-मस्तिष्क पर काफी बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए अपने वालों के साथ समय बिताएं और हो सके तो कहीं अच्छी जगह घूमने निकल जाएँ। इससे आपका मन काफी रिलैक्स होगा और आपको ख़ुशी भी मिलेगी।

अपने अवचेतन मन को संदेश भेजें

डॉ जोसफ मर्फी द्वारा लिखी गयी बुक “The Power of your subconscious mind” में लेखक के अवचेतन मन की शक्ति का जिक्र करते हुए कहा है कि जो लोग अपने अवचेतन मन को आदेश देना सीख जाएंगे वे जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हैं। जो बुरी यादें हमें परेशान करती हैं जिनके कारण हम मानसिक तनाव में हैं उन्हें हटाकर अच्छी यादों का सन्देश अपने अवचेतन मन को भेजें। इस तरीके से आप मानसिक बीमारी( How to Treat Mental Illness without Medication in Hindi ) से पूर्णतया निजात पा लेंगे।

करने का तरीक़ा – रात को सोने से पूर्व मन ही मन बोलें कि आपका मानसिक स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है, आप खुश हैं और जीवन के हर पल को ख़ुशी से जी रहें हैं। ऐसा बमन में बोलते ही आपको नींद आ जायेगी और 15 दिनों में ही आप फर्क महसूस करने लगेंगे।

कुछ सामन्य प्रश्नोत्तर

प्रश्न – मानसिक रोग को ठीक करने में कितना समय लगता है?

उत्तर – यदि आपको अपने परिवार सपोर्ट करते हैं और आपकी विल पावर भी स्ट्रांग है तो आप बहुत ही जल्द मानसिक विकार से छुटकारा पा लेंगे। किसी अच्छे मनोरोग चिकित्सक से कौन्सेल्लिंग करके भी आप जल्दी इस स्थिति से निजात पा सकते हैं।

प्रश्न – मानसिक रोगी को क्या खाना चाहिए?

उत्तर – आयुर्वेद में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन। इसलिए मानसिक रोगी हमेशा सात्विक भोजन चाहिए जैसे मूंग की दाल, फल, दूध, ड्राई फ्रूट्स और हरी पत्तेदार सब्जियां। उसे मांसाहार, शराब और किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए।

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