सर्जरी के बिना फाइमोसिस का घरेलू उपचार Phimosis Treatment without Surgery at Home in Hindi
फिमोसिस पुरुषों के गुप्तांग की एक आम समस्या है, जिसमें लिंग की फोरस्किन पीछे नहीं जाती। क्यूंकि समस्या गुप्तांग से संबंधित है तो कई पुरुष इसमें बात करने में हिचकिचाते हैं। जब लड़का छोटा होता है तो उसकी फोरस्किन पीछे नहीं जाती , लेकिन जब 13 वर्ष के बाद भी फोरस्किन पीछे नहीं जाती तो आगे चलकर balanitis की समस्या भी हो सकती है। परन्तु आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्यूंकि हम आपको फिमोसिस के घरेलू उपाय बताएंगे जिससे लिंग की चमड़ी आसानी से पीछे चली जायेगी।
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फिमोसिस क्या है? (Phimosis Meaning in Hindi)
फिमोसिस को समझने से पहले मैं आपको लिंग का स्ट्रक्चर समझा देता हूँ। पुरुष के लिंग के तीन हिस्से होते हैं जिसमें सबसे नीचे होता है बेस, दूसरा होता है शाफ़्ट और तीसरा होता है हेड। ये हेड भी स्किन से ढका रहता है, जिसे फोरस्किन कहते हैं। जब ये फोरस्किन पीछे खींचने में कठिनाई होती है या बिल्कुल पीछे खींची नहीं जाती तो इस अवस्था को फिमोसिस कहते हैं।
फाइमोसिस के लक्षण
फाइमोसिस के लक्षण निम्नलिखित हैं –
फिमोसिस का घरेलू उपचार इन हिंदी (Phimosis Treatment without Surgery at Home in Hindi)
अब जानिये कि कैसे बिना सर्जरी के आप अपनी टाइट फोरस्किन को पीछे कर सकते हैं। कुछ घरेलू उपायों(phimosis ke gharelu upay) की सहायता से आप आसानी से इसे कर सकते हैं –
शुद्ध नारियल तेल
शुद्ध नारियल के तेल में ताजा एलोवेरा का गूदा मिलाकर अच्छी तरह मिक्स का लें। फिर इसके बाद पूरे लिंग पर इसकी मालिश करें। तत्पश्चात अपनी उँगलियों की मदद से चमड़ी को पीछे खींचने की कोशिश करें। उतना ही पीछे खींचना है जितना आप बर्दाश्त कर सकें। ऐसा न हो कि ज्यादा खींचने के चक्कर में खून निकाल लें। इसका अभ्यास 15 दिनों तक जरूर करें और फर्क देखें। क्यूंकि 15 दिनों में काफी मरीजों को इस विधि से आराम मिला है और 3 महीने में तो आपकी लिंग की टाइट चमड़ी शर्तिया पीछे जाने लगेगी।
लुलिकोनाज़ोल फिमोसिस के लिए क्रीम
फोरस्किन में इलास्टिसिटी बढ़ाने के लिए लुलिकोनाज़ोल क्रीम बहुत ही फायदेमंद है। दिन में दो बार इसे फोरस्किन पर लगाएं और फोरस्किन को आगे-पीछे करने का अभ्यास करें। 15-20 दिनों के नियमित प्रयोग से आपको फर्क दिखने लगेगा।
योगासन
भुजंगासन, धनुरासन और सर्वांगासन – इन तीनों आसनों का नियमित अभ्यास करने से लिंग की टाइट चमड़ी की समस्या ठीक हो जाती है। क्यूंकि इन आसनों से लिंग में खून का बहाव बढ़ता है, जिससे फोरस्किन अपने-आप खुलने लगती है।
फिमोसिस से होने वाले जोखिम क्या हो सकते हैं
फिमोसिस से होने वाले जोखिम कई हो सकते हैं, जैसे –
- पेशाब करते हुए असहनीय दर्द होना
- सम्भोग के दौरान रक्तस्त्राव होना
- लिंग के अग्रभाग में सूजन आ जाना
- smegma हो जाना
- शिश्न की सफाई न कर पाना
- प्रोस्टेट कैंसर का खतरा होना
फिमोसिस से बचाव के उपाय
जब बच्चा छोटा हो तभी से माँ-बाप को उसे लिंग की सफाई के बारे में बता देना चाहिए ताकि फिमोसिस या अन्य कोई गुप्तांग से सम्बन्धित रोग न हो।
- शिश्न की अच्छे से सफाई करें
- शिश्न पर कोई सेंटेड सोप या परफ्यूम न लगाएं
- बार-बार चमड़ी को आगे-पीछे न करें
- हमेशा protected sex ही करें
- हमेशा गुनगुने पानी से ही लिंग को साफ़ करें
- पौष्टिक भोजन का सेवन करें
- योग और प्राणायाम अवश्य करें
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न – स्टेरॉयड क्रीम फॉर फिमोसिस?
उत्तर – बेटनोवेट क्रीम आप लिंग पर लगा सकते हैं और उसके बाद धीर्रे-धीरे पीछे खींचने का अभ्यास करें
प्रश्न – यदि फिमोसिस की सर्जरी करवाई जाये तो कितना खर्चा हो जाता है?
उत्तर – फिमोसिस की सर्जरी का खर्चा 25 से 30 हजार रु के बीच में होता है।