घरेलू उपचारों द्वारा माउथ फाइब्रोसिस का करें उपचार Mouth Fibrosis Home Remedies in Hindi
क्या आपके मुंह में भी बार-बार छाले हो जाते हैं? क्या आपको भी खाते और बोलते समय मुंह खोलने में दिक्क्त होती है? यदि हाँ, तो ये माउथ फाइब्रोसिस की समस्या के लक्षण हैं। ज्यादा गुटखा, तम्बाकू के सेवन से ये समस्या उत्पन्न होती है। आपको इसे तुरंत छोड़ देना चाहिए और यदि आपको माउथ फाइब्रोसिस हो गया है तो हम आपको कुछ घरेलू उपाय (Mouth Fibrosis Home Remedies in Hindi) बताएंगे, आप उन्हें जरूर आजमाकर देखिये। क्यूंकि इस मामले में अधिक देरी माउथ कैंसर का कारण भी बन सकती है।
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सबम्यूकस फाइब्रोसिस क्या है?
माउथ फाइब्रोसिस एक प्रकार का मुख रोग है जिसमें मुंह खोलने में परेशानी होती है। ये ओरल कैविटी और कभी-कभी गलकोष के किसी भी हिस्से को प्रभावित करती है। इसमें मनुष्य के मुंह के अंदर तालू पर, जीभ पर और गाल की खाल के आस-पास वर्टीकल फाइबर बैंड्स बनते हैं, जिस कारण मनुष्य को बोलने और खाना खाने में भी दिक्क्त होती है। स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर एक ऊँगली भी मुंह के भीतर नहीं जाती।
सबम्यूकस फाइब्रोसिस रोग के कारण और लक्षण
आइये अब जानते हैं किन कारणों की वजह से ये समस्या उत्पन्न होती है और इसके लक्षण क्या हैं –
स. | कारण | लक्षण |
1 | गुटखा, तम्बाकू के सेवन से | मुंह का बार-बार सूखना |
2 | मिर्च-मसाले अधिक खाने से | कई बार मुख से ज्यादा लार गिरना |
3 | पान-सुपारी खाने से भी | बार-बार मुंह में छाले हो जाना |
4 | कोलेजन फाइबरस का टूटना बंद हो जाना | जीभ का ऊपरी हिस्सा ज्यादा स्मूथ हो जाना |
5 | मुंह में जलन महसूस होना | |
6 | स्वाद की सनसनी में बदलाव | |
7 | कई बार कान में दर्द होने लगता है |
ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस का घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार (Mouth Fibrosis Home Remedies in Hindi)
जानिये फाइब्रोसिस का आयुर्वेदिक इलाज (mouth fibrosis treatment in hindi) जो आपको इस समस्या से छुटकारा दिलाएगा। आइये जानते कुछ आसान घरेलू और आयुर्वेदिक प्रयोग –
आंवले का जूस सुबह शाम 10-10 ml पीएं क्यूंकि विटामिन-सी भरपूर होने के कारण ये एंटी-ऑक्सीडेंट्स की तरह काम करता है जिससे फ्री रेडिकल्स से होने वाले डैमेज से शरीर की रक्षा करता है। मुंह में छाले होने की वजह से यदि माउथ फाइब्रोसिस है तो आंवले की पत्तियों को चबाएं। इसके साथ ही आंवला पेट सम्बन्धी दिक्कतों के लिए भी अति उपयोगी है।
शुद्ध मैनसिल, शुद्ध हरताल, सेंधानमक और दारुहल्दी की छाल - इन सबको समभाग लेकर चूर्ण कर लें। इस चूर्ण को शहद में मिलाकर मुख में धारण करने से फाइब्रोसिस की समस्या ठीक हो जाती है।
खदिरादि गुटिका मुख में रखकर चूसने से मुख का न हिलना-डुलना, ज्यादा लार बहना और जबड़ों में आई जकड़न बिल्कुल ठीक (ibrosis in mouth treatment in ayurveda in hindi) हो जाती है। इसके अन्य भी कई फायदे हैं जैसे ये गले के सभी रोगों में लाभप्रद है।
सिंहासन योग का नियमित अभ्यास करने से मुख के न खुलने और जबड़ों में जकड़न की समस्या ठीक हो जाती है लेकिन इसे किसी अच्छे योग शिक्षक की देख-रेख में ही करें।
दारुहल्दी के स्वरस को पकाकर गाढ़ा हलवा जैसा बना लें। फिर इसमें शहद मिलाकर मुख में धारण करने से मुख रोग और रक्त-विकार दूर होते हैं और साथ ही यह घाव को ठीक करने में भी हितकर है।
माउथ फाइब्रोसिस में क्या करें और क्या न करें
कुछ सरल तरीके अपनाकर आप माउथ फाइब्रोसिस से बच सकते हैं जैसे –
- पान, गुटखा और तम्बाकू का सेवन करना बंद करें
- अधिक मिर्च मसाले न खाएं
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- विटामिन सी और ए अपने आहार में शामिल करें
- भोजन के उपरान्त मुंह को नित्य साफ़ करें
- नीम की पत्तियां पानी में उबाकर उसे छान लें और ठंडा होने पर कुल्ला करें। मुख स्वच्छ हो जाता है
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न – कैसे पता करें कि माउथ फाइब्रोसिस की शुरुआत हो चुकी है?
उत्तर – अपनी हाथ की तीन उँगलियों को वर्टिकली मुंह में डालें। यदि वो आसानी से मुंह के अंदर चली जाती हैं तो आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। यदि नहीं जाती तो समझिये ओरल म्यूकस फाइब्रोसिस की शुरुआत हो रही है। लेकिन आपको चिकित्सक से जांच करवानी चाहिए क्यूंकि कुछ लोगों का मुख इतना नहीं खुलता है।
प्रश्न – मुंह न खुलने पर हमें कैसा खान-पान लेना चाहिए?
उत्तर – आपको ज्यादातर तरल-पदार्थों का सेवन करना चाहिए। देसी घी का हलवा भी खा सकते हैं। आप रोटी भी खाएं लेकिन उसे दाल में डालकर नर्म कर लें और खा जाएँ। अधिक मिर्च-मसाले वाले भोजन से दूर रहें।
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