Wednesday, June 7, 2023
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बवासीर (अर्श रोग) से तुरंत राहत दिलाएंगे ये 5 आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय | Instant Relief from Piles Pain Home Remedies in Hindi

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बवासीर (अर्श रोग) से तुरंत राहत दिलाएंगे ये आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय Instant Relief from Piles Pain Home Remedies in Hindi

उदररोग के बाद अर्श रोग एक ऐसा रोग है जो बहुत ही पीड़ादायक है और ये दोनों रोग ही त्रिदोषज होते हैं। दूसरी बात यह है कि बद्धोदर के भयानक स्वरुप बवासीर के मस्से गुदावली (Anal Column) में उत्पन्न होते हैं। यह रोग शत्रु के समान पीड़ादायक होता है।

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अर्श रोग क्या है? इसके कितने प्रकार हैं?

गुदा की शिराओं के उभार को ‘अर्श’ कहते हैं। रक्तवाहिनी शिराओं के चढ़ाव या अंकुर मंसाश्रित होते हैं। अर्श प्रकार के होते हैं – 1. कुछ अर्श सहज होते हैं, जो शिशु के जन्मकाल के साथ ही उत्पन्न होते हैं और 2. कुछ जन्म लेने के बाद किसी भी उम्र में उत्पन्न होते हैं। गुदा में शिराएं लम्बाई में स्थित हैं, इस कारण उन शिराओं में रक्त के रुकने में सहजता होती है। किन्हीं कारणों से जब गुद्गत शिराओं में अवरोध होता है, तो मांसाकुर उत्पन्न होते हैं। ये बाहर की गुदवली में होने पर बाह्या अर्श और भीतर होने पर आभ्यंतर अर्श कहे जाते हैं।

बवासीर (अर्श रोग) के कारण और लक्षण

आइये अब जानते हैं किन कारणों की वजह से अर्श रोग होता है और इसके लक्षण क्या हैं –

स. कारण लक्षण
1कब्ज़ का लगातार बने रहना अर्श का प्रमुख कारण है शरीर बहुत दुर्बल हो जाता है
2शारीरिक श्रम न करना, अधिक बैठना, दिन में शयन करना और आलसी स्वाभाव का होना उसमें वीर्य अलप हो जाता है और उसे क्रोध बहुत आता है
3अति मद्यपान और धूम्रपान करने के कारण डकार आने में रूकावट और खट्टापन होता है
4पेट में रसौली या गुल्म (ट्यूमर) की वजह से मल कभी लाल, पतला, गाड़ा और मुर्दे की सी गंध वाला होता है
5ज्यादा मिर्च-मसाले और तला-भुना खाने से व्यक्ति को ज्वर रहता है, उसके अंगों में पीड़ा होती है
6हमेशा ही मल बाहर निकालने के लिए बल लगाने से रोगी सदैव चिंतातुर रहता है और बहुत आलसी होता है
7गुदा में सदैव शीतल जल का स्पर्श कराने से प्यास अधिक लगती है और कभी-कभी मूर्छा हो जाती है
8दूषित और भारी जल के पीने से कफज अर्श में नपुंसकता तक हो जाती है
9मैथुन का उचित प्रयोग न करने से गुदा प्रदेश में कैंची से काटने के समान पीड़ा होती है
10अति नर्म गद्दे पर सोने या अधिक देर बैठने से मल का अवरोध होता है, जिससे अग्नि मंद हो जाती है और मल संचित हो जाता है मुख से पानी छूटना, थूकने की प्रवृत्ति होना
11स्त्रियों का अपक्व गर्भ गिरने से, गर्भ का अधिक दबाव पड़ने से, विषम रूप से प्रसव होने से जी मचलाना, अपच और बार-बार छींक आने से पीड़ित रहना
12वायु, मूत्र एवं पुरीष के वेगों को रोकने से हृदय, पीठ और त्रिकप्रदेश में अकड़न तथा पीड़ा होती है
13दूसरे के दोषों को देखने से या अत्यधिक डिप्रेशन से आँखों में अंधता, कनपटी में दर्द होना और स्वरभेद होना

घरेलु और आयुर्वेदिक उपचार जो बवासीर को तुरंत ठीक करेंगे (Instant Relief from Piles Pain Home Remedies in Hindi)

चरक संहिता में अर्शरोग को ठीक करने के बहुत ही प्रभावशाली उपाय दिए गए हैं, इसके साथ कुछ घरेलू उपाय भी बताऊंगा जो बवासीर (Instant Relief from Piles Pain Home Remedies in Hindi) को ठीक करने के लिए अत्यधिक लाभकारी हैं –

कागजी नीम्बू

2 कागजी नीम्बू काटकर 5 माशे देसी कत्था पीसकर नीम्बु के टुकड़ों पर लगाएं। रात भर ओस में रखें। सुबह खाली पेट रोजाना नियम से 15 दिन तक सेवन करें। बवासीर में निश्चित ही लाभ होगा।

परहेज – उड़द की दाल, मांस-मछली का परहेज करें।

रीठा

50 ग्राम रीठे लेकर तवे पर रखकर कटोरी से ढक दें और तवे के नीचे आधा घंटा आग जलाएं। रीठे भस्म हो जाएंगे। ठंडा होने पर कटोरी हटाकर बारीक करके रीठे की भस्म 20 ग्राम, कत्था सफेद 20 ग्राम, कुश्ता फौलाद 3 ग्राम, सबको बारीक करके अच्छी तरह मिला लें।

वजन खुराक – 1 ग्राम सुबह को, 1 ग्राम शाम को, 20 ग्राम मक्खन में रखकर खाएं। ऊपर से 250 ग्राम दूध पीएं। 10-15 दिन सेवन करें। यह बहुत बढ़िया दवा है। खूनी, बादी बवासीर को दूर करेगी।

परहेज – गुड़, गोश्त, शराब, आम, अंगूर न खाएं। कब्ज़ न होने दें।

मक्खन

जैसा कि आप जानते हैं कि अर्शरोग त्रिदोषज है तो मक्खन वात और पित्त को संतुलित करता है। ये शीतवीर्य है तो इसलिए ये जठराग्नि को प्रदीप्त करता है और बवासीर में तो ये बहुत ही लाभकारी है। आइये इसका प्रयोग करना जान लीजिये –

प्रयोग का तरीका – 1 चम्मच मक्खन, 1 चम्मच नागकेसर और 1 चम्मच मिश्री, इन तीनों को एक साथ मिलाएं और खा जाएँ। यदि नागकेसर नहीं मिलता तो मक्खन और मिश्री का सेवन करें। अर्श रोग को ठीक करने में ये बहुत ही उपयोगी हैं।

परहेज – गर्म और मिर्च-मसाले वाली चीजों का सेवन न करें। शराब और मांसाहार से भी दूरी बनाये रखें।

अनार का रस

अनार का रस पाचन तंत्र को दुरुस्त करने और पेट को साफ़ करने में उपयोगी है। साथ ही यह शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है। अब इसका प्रयोग बवासीर को ठीक करने में कैसे करें, आइये जानते हैं।

प्रयोग का नुस्खा – अनार के रस में सोंठ और पाठा चूर्ण गुड़ मिलाकर या गाय के घी में यवाखार और गुड़ मिलाकर दें। एक और प्रयोग इस प्रकार है खट्टे अनार के रस में पीपर, सोंठ, जवाखार, मंगरैला, धनिया और जीरा का चूर्ण, राब तथा गाय का घी मिलाकर पीने से अर्श नष्ट (Instant Relief from Piles Pain Home Remedies in Hindi) हो जाता है।

हर्रे का चूर्ण

घी में भुनी हर्रे के चूर्ण (3-4 ग्राम) को पीपर (1 ग्राम) के चूर्ण और (5 ग्राम) गुड़ के साथ सेवन करें अथवा 20 ml घी में भुनी हर्रे के चूर्ण को निशोथ तथा दंतिमूल के चूर्ण के साथ सेवन करें। इन दोनों प्रयोगों से वायु एवं मल का अनुलोमन (ऊपर से नीचे आने वाला) होता है। जब मल, वात, पित्त और कफ, अनुलोमन हो जाता है तब गुदा में दोष न होने से अर्श के मस्से स्वयमेव शांत हो जाते हैं और जठराग्नि की वृद्धि होती है।

अर्शरोग में किन चीजों का सेवन करना चाहिए

बवासीर में ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए जो हमारे पेट और आँतों के लिए अच्छे हों और कब्ज़ न होने दें। आइये जानते हैं –

  • पर्याप्त मात्रा में जल का सेवन करें और सुबह उठते ही 1 गिलास पानी घूंट-घूंट करके पीएं।
  • छाछ का सेवन अवश्य करें।
  • ताजे फल और सब्जियां जरूर खायें क्यूंकि इनमें फाइबर होता है जो अर्शरोगी के लिए बहुत उपयोगी है।
  • गाजर का सेवन पाइल्स के रोगियों को अवश्य करना चाहिए।
  • इसबगोल, दालचीनी का सेवन करने से अर्शरोग में फ़ायदा होता है।

क्या नहीं खाना चाहिए

  • जंक फ़ूड और मिर्च-मसाले वाले भोजन का सेवन बंद कर दें।
  • सब्जी में आलू और बैगन का सेवन न करें।
  • पैक्ड फूड्स न खाएं।
  • कोल्ड ड्रिंक्स, शराब और धूम्रपान बिल्कुल न करें।
  • मांसाहार का सेवन भी कुछ दिन छोड़ दें।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न – बवासीर होने से पहले के लक्षण क्या हैं, जिससे यह पता लग सके की अर्शरोग हो सकता है?

उत्तर – भोजन का सरलता से न पचना, देह का दुर्बल होना, पेट में गुड़गुड़ होना, अधिक डकार आना, पैरों की हड्डियों में थकावट होना और मल का अल्पमात्रा में निकलना- ये सब लक्षण अर्शरोग के बढ़ने की सूचना देने वाले पूर्वरूप हैं।

प्रश्न – कैसे जानें कि बवासीर अब असाध्य (लाइलाज) हो चुकी है?

उत्तर – जब बवासीर से पीड़ित रोगी के हाथ-पैर में, मुख में, नाभिप्रदेश में, गुदा में और दोनों अंडकोषों में सूजन हो जाए, हृदय तथा पसलियों में पीड़ा हो, तो उसे असाध्य जानना चाहिए। मूर्च्छा, वमन और अंग-अंग में पीड़ा होना, ज्वर होना, प्यास का अधिक लगना।

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