Epilepsy Causes & Ayurvedic Treatment in Hindi मिर्गी के लक्षण और रामबाण आयुर्वेदिक इलाज
आयुर्वेद में मिर्गी को अपस्मार के नाम से जाना जाता है। ये भी दिमाग से सम्बन्धित एक रोग है जिसमें व्यक्ति को दौरा पड़ता है और वह कभी-कभी बेहोश भी हो जाता है एवं उसके मुंह से कई बार झाग भी निकलने लगती है। लेकिन आपको ऐसे आयुर्वेदिक उपचार बताएंगे जिसकी मदद से आप मिर्गी से हमेशा के लिए छुटकारा पा लेंगे।
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मिर्गी रोग का क्या अर्थ है (Epilepsy Meaning in hindi)
स्मरणशक्ति के नाश को अपस्मार (मिर्गी) नाम से पुकारते हैं। इस रोग में व्यक्ति की बुद्धि और मन में विभ्रम (ज्ञान की विपरीतता या आंधी-तूफ़ान की स्थिति) होने से रोगी की आँखों के सामने अँधेरा छा जाता है, वह आँखें नचाने लगता है, हाथ-पैर पटकने लगता है, उसका शरीर कांपने लगता है, इस तरह वह अनेक घृणाजनक चेष्टाएँ करने लगता है।
मिर्गी के लक्षण
मिर्गी के निम्नलिखित लक्षण हैं –
स. | लक्षण |
1 | रोगी काँपता रहता है |
2 | दांतों को किटकिटाता है |
3 | जल्दी-जल्दी श्वास लेता है |
4 | अधिक प्यास लगती है |
5 | रोगी के शरीर में उष्णता रहती है |
6 | मुख और आँखें पीली होती हैं |
7 | मुख से झाग निकालता है |
8 | लड़खड़ाकर गिर पड़ता है |
9 | हाथ-पैर फैंकता रहता है |
मिर्गी के दौरे क्यों आते हैं
अब जानते हैं आखिर किन कारणों से मिर्गी के दौरे आते हैं –
मिर्गी में व्यक्ति का तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर देता है और इसकी वजह किसी चोट लगने की वजह से, नसों में सिकुड़न आने के कारण, अनुवांशिक कारणों से भी, उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक ग्रोथ तो होती है परन्तु मानसिक विकास नहीं हो पाता, कई बार कुछ लोगों को बुखार सिर पर चढ़ जाता है। अब आयुर्वेद के अनुसार बात करें तो यदि व्यक्ति के अमाशय में वात-पित्त-कफ कुपित हो जाएँ तो यह ऊपर चढ़कर दिमाग की और शरीर की नसों को कमजोर कर देते हैं, इस वजह से भी मिर्गी के दौरे आते हैं।
मिर्गी कितने प्रकार की होती है
मिर्गी रोग 2 तरह का होता है।
- साधारण – मिर्गी के साधारण आक्रमण से रोगी कुछ देर के लिए बेहोश हो जाता है, बोल नहीं पाता और उसकी पुतलियां फ़ैल जाती हैं, सिर लटक जाता है और पेशाब भी निकल जाता है। स्मृति और चेतना भी लुप्त हो जाती है। लेकिन कुछ बाद होश आने लगता है और चेतना लौट आती है।
- उग्र – इस अवस्था को 4 भागों में समझाते हैं – i) पहली अवस्था – इस अवस्था में रोगी को अचानक दुर्बलता होती है, सिर घूमता है, सुस्ती और तंद्रा की स्थिति हो जाती है। ii) दूसरी अवस्था – इसमें आँखों के सामने चिंगारी छूटती है। मुट्ठियां बंध जाती हैं। रोगी चेतनाशून्य होकर गिर पड़ता है। मुख से झाग निकलता है, रोगी मल-मूत्र त्याग कर देता है और यह स्थिति 5-6 मिनट तक बन रहती है। iii) तीसरी अवस्था – इसमें पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं। श्वासावरोध दूर होने लगता है। बार-बार आक्षेप आता है, रोगी हाथ-पैर पटकने लगता है। चौथी अवस्था – इस अवस्था में आक्षेप आना बंद हो जाता है। झाग नहीं आता और होश आ जाने पर वह ऐसा महसूस करता है जैसे सोने के बाद उठा हो।
मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा (Epilepsy Causes & Ayurvedic Treatment in Hindi)
मिर्गी का अचूक इलाज आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा आसानी से किया जा सकता है। आइये जानते हैं कैसे –
ब्राह्मीघृत
बच, कूठ और शंखपुष्पी – इन तीनों का चूर्ण घी का 1/4 लेना है और ब्राह्मी का स्वरस घी से चार गुना ज्यादा डालकर मध्यम आंच पर पकाएं। फिर इसे छानकर कांच की शीशी में सुरक्षित रख लें और एक-एक चम्मच सुबह-शाम सेवन करें। मिर्गी रोग जड़ से खत्म हो जाएगा।
काली मिर्च और तिल का तेल
25 ग्राम काली मिर्च को 100 ml तिल के तेल में अच्छे से पकाएं। फिर इसे छानकर किसी कांच की बोतल में भरकर रख लें। जब भी रोगी को मिर्गी का दौरा पड़े तो 2-2 बूँदें उसके नाक में डाल दें। ऐसा कुछ दिन लगातार करें, मिर्गी जड़ से खत्म हो जायेगी। आप इस तेल की रोगी के सिर पर मालिश भी करें।
लहसुन और काले तिल
लहसुन – 10 ग्राम और काले तिल – 30 ग्राम, इन दोनों को मिलाकर सुबह खाली पेट इनका सेवन करें। यदि आप काले तिल नहीं पसंद करते तो तिल तेल – 20 ml ले सकते हैं। इसके सेवन से मिर्गी रोग समाप्त हो जाता है। 21 दिन तक नियमित इसका सेवन करना है।
सरसों
सरसों 5 ग्राम को बारीक पीस लें और इसे शहद मिलाकर खाने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है। इसके साथ ही सरसों को गौमूत्र में पीसकर सारे शरीर में उबटन लगाने से मिर्गी जड़ से खत्म हो जाती है।
प्याज
1 लाल प्याज को काटकर मिक्सी में पीस लें और फिर इसे किसी साफ़ सूती कपड़े से छानकर किसी बर्तन में ढककर सुरक्षित रख लें। सुबह खाली पेट 30 ml की मात्रा लें और इतना ही पानी मिलाकर सेवन करें। जो लोग खाली पेट नहीं पी सकते, वे दोपहर के भोजन के बाद पी सकते हैं। मिर्गी पूर्णतया ठीक हो जायेगी।
मिर्गी के दौरे में क्या नहीं खाना चाहिए
मिर्गी के दौरे में जंक फ़ूड, किसी प्रकार के नशे, वातवर्धक भोजन और साथ ही कफवर्धक भोजन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही जितने भी पैक्ड फूड्स होते हैं, उनका सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिए।
मिर्गी के दौरे में क्या खाना चाहिए
निम्नलिखित खाद्यपदार्थों का सेवन करने से मिर्गी के दौरे से लाभ मिलता है।
- मूंग की दाल का सेवन करें
- फलों में सेब, संतरा खाना फायदेमंद है
- मुनक्का और आंवला का सेवन भी उपयोगी है
- मीठे फल खाना भी उत्तम है
- 10 वर्ष पुराना गाय का घी सर्वोत्तम है
- सब्जियों में बथुआ, सहजन और लौकी फायदेमंद है
- देसी गाय का दूध पीना लाभकारी है
निष्कर्ष
उपर्युक्त जितनी भी आयुर्वेदिक औषधियां बताई गयी हैं, ये मिर्गी रोग में अत्यंत लाभकारी हैं। लेकिन आपको इनका सेवन किसी कुशल वैद्य से परामर्श करके ही करना चाहिए क्यूंकि व्यक्ति के देश, काल और बल के अनुसार ही औषधि की मात्रा निर्धारित की जाती है।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न – मिर्गी इलाज सम्भव है?
उत्तर – जी बिल्कुल, मिर्गी का इलाज सम्भव है। आयुर्वेदिक और कुछ घरेलू नुस्खों द्वारा मिर्गी का सफल इलाज किया जाता है।
प्रश्न – क्या मिर्गी संक्रामक है?
उत्तर – जी नहीं, मिर्गी कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है। ये तो दिमाग में चोट लगने से या दिमागी बुखार के कारण होती है।