कान में सूजन और दर्द होने के कारण एवं इसका घरेलू उपचार Ear Pain Relief Home Remedies in Hindi
कान दर्द एक बहुत ही आम समस्याओं में से एक है। लेकिन जब इसमें दर्द होता है तो बर्दाश्त नहीं होता। कान में दर्द कई कारणों से हो जाता है। ज्यादातर कान दर्द संक्रमण की वजह से होता है और कुछ बहरी कारण होते हैं जैसे कान में पानी चला जाना, किसी नुकीली चीज से कान खुजा देना और वहां चोट लग जाना। कान दर्द से सम्बन्धित इस लेख में आपको पूरी जानकारी मिलेगी। आइये सबसे पहले जानते हैं कान दर्द क्या है, इसके कारण और लक्षण।
दांत दर्द होने पर न खाएं पेन किलर क्यूंकि इन घरेलू से ठीक होगा दांत दर्द
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कान दर्द क्या है?
कान के तीन हिस्से होते हैं – 1. बाहर का 2. बीच का 3. भीतर का। कान दर्द होने की और कान बहने की समस्या ज्यादातर बीच के कान में होती है। बाहर की कोई भी आवाज़ बीच के कान के हिस्से में जो हड्डियां होती हैं वहां से होकर कान के भीतरी हिस्से में जाकर मस्तिष्क तक पहुंचती है। eustachian tube जो कान के मध्य भाग से गले के पिछले हिस्से तक जाती है। इसमें ब्लॉकेज हो जाने पर एक दबाव बनता है, जिस वजह से कान में दर्द हो जाता है। यदि ये प्रेशर ज्यादा दिन तक रहे तो इन्फेक्शन भी हो सकता है।
कान में दर्द के कारण और लक्षण
कान में इन्फेक्शन के अलावा अन्य कई कारण हैं जिनकी वजह से कान में दर्द होता है और आइये इसके लक्षण भी जानते हैं –
स. | कारण | लक्षण |
1 | बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन | कान में खुजली होना |
2 | कान में पानी चला जाना | कान में भारीपन लगना |
3 | गले के संक्रमण से भी कान दर्द हो सकता है | ज्यादा गंभीर स्थिति होने पर बोलने, खाने में भी दिक्क्त होती है |
4 | कान में किसी कीड़े या रुई आदि का चले जाना | कान से मवाद निकलना |
5 | कान में मैल जमा हो जाना | कान के चारों तरफ लालिमा होना |
6 | यदि कैविटी की वजह से दांत में दर्द है तो ये कान दर्द का कारण भी बन सकता है | कान को हल्का सा छूने से ही तेज दर्द होना |
7 | कानों में ज्यादा देर तक ईरफ़ोन लगाने से | कई बार बुखार आ जाना |
कान में दर्द का घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार (Ear Pain Relief Home Remedies in Hindi)
कान में सूजन और दर्द होने पर हमेशा पेन किलर न खाएं। पहले निम्लिखित में से कुछ घरेलू उपाय (Ear Pain Relief Home Remedies in Hindi) आजमा कर देखें। आपको यकीनन फर्क महसूस होगा।
लहसुन और तिल का तेल करेगा कान दर्द को दूर
लहसुन में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो किसी भी प्रकार के संक्रमण को ठीक करने में उपयोगी होता है। इसको कान दर्द में तिल के तेल का साथ इस तरह प्रयोग करें।
प्रयोग का तरीका – लहसुन की 1 कली के छोटे टुकड़े कर लीजिये और उसे 2 चम्मच तिल के तेल में अच्छे गर्म कर लीजिये। फिर इसे ठंडा होने दें और इसकi एक-एक बूँद को ड्रॉपर की मदद से अपने कानों में डाल लें। किसी प्रकार का संक्रमण हो या कोई कान में कीड़ा आदि चला गया हो तो उसके लिए भी ये प्रयोग अत्यंत लाभकारी है।
सुदर्शन का पौधा कानदर्द में है उपयोगी
सुदर्शन के पौधे के जो पत्ते होते हैं उनमें दर्द निवारक गुण मौजूद होते हैं। इसका प्रयोग जोड़ों के दर्द को कम करने में भी किया जाता है। कान के दर्द को दूर करने के लिए इसके पत्तों का रस निकालें और 1-1 बूँद अपने कानों में डाल लें। इससे कुछ ही देर में आपके कान दर्द में आराम (Ear Pain Relief Home Remedies in Hindi) आ जाएगा।
वायविडंग,हल्दी, कपूर और गूगल का धूपन करने से कान में सूजन और मवाद ठीक होगा
कान में यदि सूजन है और मवाद निकल रहा है और उसकी वजह से दर्द हो रहा है तो फिर इस स्थिति में कान में तेल नहीं डालना चाहिए। इस अवस्था में धूपन करना चाहिए और उसके लिए आपको वायविडंग, हल्दी, कपूर और गूगल को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लाकर जलाना चाहिए और इसका धुआं कानों में देना चाहिए। यदि ये कार्य आपको करना लगता है तो रेडीमेड ‘संतुलन प्यूरीफायर‘ आता है। इसे जलाकर भी कान में धूपन कर सकते हैं।
जालंधर बंध से जल्द ही कानदर्द में राहत मिलेगी
अब बात कर लेते हैं यौगिक क्रिया की क्यूंकि इसको घरेलू उपायों के साथ करने से कान दर्द में जल्दी राहत मिलेगी। जालंधर बंध के लिए सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएँ और शून्य मुद्रा (मध्यमा ऊँगली को अंगूठे की जड़ में लगाना) लगा लें। इसके बाद गहरी सांस लें और फिर छोड़ें एवं ठोडी को कंठकूप में लगा लें और कुछ क्षण सांस रोककर रखें, जितनी देर सहजता से रोक सकें। तत्पश्चात सांस भरते हुए गर्दन ऊपर ले आएं।
सावधानी – हाई बीपी और सर्वाइकल की समस्या वाले लोग इसका अभ्यास न करें।
कान दर्द को ठीक करने के लिए एक्यूप्रेशर पॉइंट
कनिष्ठा और अनामिका ऊँगली की जड़ों में कान की नसों के पॉइंट हैं। कान का हिस्सा है इन दोनों अँगुलियों के बीच में थोड़ा नीचे की तरफ। नीचे चित्र में देखें समझ आ जाएगा।
कान के पॉइंट को अंगूठे के पोर से जोर से दबाने से यदि दर्द हो तो समझ लें कि आपके कान में इन्फेक्शन है। फिर इस पॉइंट को हल्के से 1-2 मिनट के लिए दिन में तीन बार दबा सकते हैं। यदि आप कोई दवाई भी ले रहे हैं तो इसको दबाने से कोई नुकसान नहीं होगा।
कान की नसों के पॉइंट्स को दिन में दो बार 1-1 मिनट के लिए दबा सकते हैं। इससे कान दर्द , कान से मवाद निकलना और कान से आवाज़ें आना जैसी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
कान में आवाज़ आने के कारण और इलाज
कान में आवाज़ आना जिसे सामान्य भाषा में कान बजना भी कहते हैं। कान बजना कोई बीमारी नहीं बल्कि एक लक्षण है। इसमें घड़ी की टिक टिक की आवाज़, पक्षियों की चिर्पिंग की आवाज़, गूंजने की आवाज़ सुनाई देना आदि।
कान में आने वाली आवाज़ों के कारण (Causes of Tinnitus)
इसके अलावा गर्दन एवं जबड़े में चोट लगने से तथा डायबिटीज, दिल की बीमारी भी कान में आवाज़ आने का कारण बनती हैं।
कान में आवाज़ आने का इलाज
अब जानते हैं कि कैसे हम कानों में आने वाली आवाज़ छुटकारा पा सकें।
यदि कान में मैल के कारण आवाज़ आ रही है तो मैल को हटाने के लिए चिकित्सक दवा दे सकता है।
उम्र बढ़ने के साथ अगर कान में आवाज़ आ रही है और सुनाई देना भी कम हो गया है तो डॉक्टर व्यक्ति को सुनने की मशीन लगा सकता है
कई बार दवाओं के अधिक सेवन से भी कानों में आवाज़ आने की दिक्क्त आ सकती है। इसके लिए चिकित्सक आपकी दवाओं को बदल सकता है।
टिनिटस की आवाज़ें बंद करने के लिए एक मशीन के द्वारा किन्हीं अलग आवाज़ों का प्रयोग करना जैसे बरसात के पानी की आवाज़ आदि। इससे रात में चलाकर नीन्द अच्छी आ जाती है।
प्रश्न – कान दर्द के लिए पतंजलि की दवा कौनसी है?
उत्तर – चंद्रप्रभावटी व शिलाजीत और सारिवादी वटी की 1-1 गोली सुबह-शाम खाने के बाद पानी के साथ लें। इससे पहले किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
प्रश्न – कान की मैल को कैसे साफ़ करें?
उत्तर – कान की मैल को पहले नर्म करने के लिए आप ईयर ड्रॉप्स का सहारा ले सकते हैं या एक बूँद सरसों के तेल की भी डाल सकते हैं। इसके बाद वैक्स बाहर आएगी, फिर आप गीले मुलायम कपड़े से पोंछ सकते हैं। इसके अलावा आप डॉक्टर के पास जाकर भी वैक्स निकलवा सकते हैं।
प्रश्न – कान के दर्द से तुरंत राहत कैसे पाएं?
उत्तर – कान के दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए आपको गर्म कपड़े से सिकाई करनी चाहिए अथवा गूगल, वायविडंग और कपूर जलाकर उसका धूपन कान में देना चाहिए।
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