पेट में जलन, पेट फूलना और वात बनने का घरेलू उपचार Best Ayurvedic Treatment in Ayurveda for Gastric & Acidity
पेट में जलन, पेट फूलना और गैस बनना ये सब उदर रोगों के अंतर्गत आते हैं। पेट के रोग ज्यादातर गलत खान-पान, विरुद्ध भोजन लेने और तनाव की अधिकता के कारण होते हैं। उदर रोग होने से मुख सूख जाता है, शरीर के अंग दुबले-पतले हो जाते हैं और मनुष्य की जठराग्नि और भोजन करने की शक्ति क्षीण हो जाती है।
आयुर्वेद में कहते हैं कि पेट खुश तो हम खुश। पेट की बिमारियों से अन्य रोग भी शरीर में जगह बनाने लगते हैं। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह पेट सम्बन्धी रोग को न होने दे और यदि हो भी जाए तो तुरंत उसका उपचार करे। आइये पहले जानते हैं उदर रोग कैसे होते हैं, पेट में गैस, जलन के कारण और लक्षण।
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उदर रोग कैसे होते हैं?
जठराग्नि की मन्दता के कारण वातादि दोष या मूत्र-पुरीष (गुदा द्वार द्वारा निष्कासित मल) मल बढ़ जाते हैं, जिसके कारण अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होने लग जाते और विशेषकर उदर रोग होते हैं। अग्नि के मंद हो जाने पर जब दोषयुक्त भोजन किया जाता है, तब भोजन का ठीक से पाचन न होने से दोषों का संचय होने लगता है।
वह दोषसंचय प्राणवायु, जठराग्नि और अपानवायु को दूषित कर ऊपर तथा नीचे के मार्गों को रोक देता है एवं त्वचा और मांस के बीच में आकर कुक्षि (पेट) में सूजन बनाकर उदर रोग उत्पन्न करता है।
पेट में जलन, पेट फूलने के कारण और लक्षण
आइये अब जानते हैं पेट में जलन, पेट फूलने और गैस बनने के कारण और लक्षण
स. | कारण | लक्षण |
1 | अधिक गर्म भोजन, अधिक लवण, क्षार और जलन पैदा करने वाले पदार्थ का सेवन करने से | भूख न लगना |
2 | रूक्ष पदार्थ, विरोधी पदार्थ और अपवित्र भोजन करने की वजह से | भारी पदार्थों का देर से पचना |
3 | कठिन रोगों की उचित समय पर चिकित्सा न करने से | पैरों में थोड़ी सूजन हो जाना |
4 | मल-मूत्र आदि वेगों को रोकने से | थोड़ा सा व्यायाम करने पर श्वास बढ़ जाना |
5 | अधिक मात्रा में ठूंसकर भोजन करने से | कुक्षि में वायु भर जाना और गुड़गुड़ का शब्द होना |
6 | ज्यादा मैथुन या सम्भोग करने से | हाथ-पैर और अंडकोष में सूजन तथा उदर के चीरने-फाड़ने जैसी वेदना होना |
7 | बवासीर अथवा पीलिया रोग के कारण भी पेट के रोग होते हैं | मल का काला या लाल होना |
8 | अधिक मिर्च-मसाले वाला भोजन और जंक फ़ूड के सेवन से | शरीर दुबला-पतला हो जाना |
9 | भोजन के एकदम बाद पानी पीने से या एकदम लेट जाने के कारण | उदर के निचले भाग में भारीपन होना और मल-मूत्र में अवरोध उत्पन्न होना |
पेट में जलन, पेट फूलना और वात बनने का आयुर्वेदिक उपचार (Best Ayurvedic Treatment in Ayurveda for Gastric & Acidity Hindi)
आइये अब जानते हैं कुछ ऐसे घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार जिनके प्रयोग से उदर रोग जैसे पेट दर्द, पेट में जलन, गैस बनना बंद हो जाएगा।
अजवाइन और सौंफ
अजवाइन, सौंफ, काला नमक 10-10 ग्राम, काली मिर्च 5 ग्राम बारीक कूट-छानकर 200 ग्राम ताजे पानी से लें, पेट फूलना ठीक हो जाएगा।
हींग
हींग को पानी में मिलाकर नाभि पर लेप करने से पेट में गैस दूर हो जाती है। आप हींग का प्रयोग सब्जी में भी कर सकते हैं, इससे पाचन तंत्र अच्छा होता है और खाया पिया जल्दी हजम हो जाता है।
त्रिफला
त्रिफला, अजवाइन, काला नमक 50-50 ग्राम, काली मिर्च एक तोला, घीग्वार के छोटे-छोटे टुकड़े करके मिटटी के बर्तन में 15 दिन तक धूप में रखें। नमक सेंधा 30 ग्राम मिलाएं, दवा तैयार है। पेट में गैस, कब्ज़, भूख न लगना आदि के लिए 2 टुकड़े गर्म पानी के साथ दिन में दो बार खाना खाने के बाद लें। पेट के रोग दूर होंगे। पेट का फूलना, जी मचलाना, खट्टी डकार आना बंद होगा, गैस को ठीक करेगा।
अंगूर का ताजा रस
अंगूर का ताजा रस 50 ग्राम रोजाना पीने से हाजमे की खराबी, पेट का फूलना, कब्ज़, अफारा आदि में आराम देता है। ये नुस्खा ख़ास महिलाओं के लिए है।
पीपर और सोंठ
पीपर, सोंठ, दंति की जड़, चित्रक की जड़ और वायविडंग – प्रत्येक 1-1 ग्राम भाग और हर्रे दो भाग लेकर सबका चूर्ण बना लें और इसे 1 ग्राम सुबह और 1 ग्राम शाम को गर्म जल के साथ सेवन करें। ये प्रयोग सभी उदर रोगों के लिए उपयोगी है।
पुष्करमूल और रास्ना
चित्रक, सोंठ, रास्ना, पुष्करमूल, पीपर और कचूर – इन्हें बराबर लेकर कल्क कर चौगुने घी और घी से चौगुने जल के साथ विधिवत घृतपाक करें। यह श्रेष्ठ वातनाशक है।
बिल्व की छाल
पेट में गैस के कारण जिस रोगी के हृदय में जकड़न हो गयी हो, उसे बिल्व की क्षार से सिद्ध तेल का पान करना चाहिए। इसी प्रकार अरणी, सोनापाठा, पलाश, तिल का डण्ठल, बरियार, केला और चिचिड़ा-इनके क्षारद्रवों से तैल को पकाना चाहिए। इस तेल का प्रयोग उदररोगों को शांत करता है और साथ ही वात नाशक भी है।
कुछ अन्य टिप्स जिन्हें अपनाने से पेट सम्बन्धी रोग नहीं होंगे
- भोजन न ज्यादा तेज और न ज्यादा जल्दी करें।
- भोजन करने के एकदम बाद पानी न पीएं। कम से कम 1 घंटे बाद ही पानी पीएं।
- रात्रि का भोजन 9 बजे से पहले कर लें।
- 15 से 20 मिनट व्यायाम अवश्य करें।
- भोजन हमेशा चबा-चबाकर कर खाएं, जल्दी-जल्दी निगलें नहीं।
- ज्यादा देर खाली पेट रखने से और उसके बाद एकदम ज्यादा खाना न खाएं, इससे पेट फूलने की समस्या होती है।
- विरुद्ध आहारों का सेवन न करें जैसे दूध के साथ दही या दही के साथ मूली अथवा खिचड़ी के साथ खीर आदि का सेवन न करें।
निष्कर्ष
पेट फूलना, पेट में जलन होना वैसे तो ये आम समस्या है लेकिन इन्हें नज़रअंदाज़ करने पर ये गंभीर रोग में बदल सकती हैं। इसलिए हमें पहले घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाने चाहिए और यदि फर्क नज़र नहीं आता तो तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक के पास जाकर इलाज कराना चाहिए।
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न – भोजन के बाद पेट क्यों फूलता है?
उत्तर – जो खाना आपने खाया है, यदि वो ठीक से न पचे तो ब्लोटिंग की समस्या होती है। जठराग्नि के मंद होने पर भी पेट फूलने की ,समस्या होती है। जल्दी और गलत तरीके से भोजन करने से भी पेट में गैस की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
प्रश्न – पेट फूलने पर किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए?
उत्तर – पेट में जलन होने और पेट फूलने की समस्या हो तो भारी भोजन न करें जैसे राजमा, गोभी, भिंडी, अरबी न खाएं। इसके अतिरिक्त तली और मसालेदार चीजों का सेवन न करें। और मीठी चीजों का सेवन बिल्कुल न करें।
प्रश्न – पेट का भारीपन कैसे दूर करें?
उत्तर – इसके लिए भूख से अधिक भोजन न करें, खाने को अच्छे से चबाकर खाएं, खाने के एकदम बाद पानी न पीएं, भोजन से पहले सूर्य स्वर चालू कर लें, इससे जठराग्नि प्रदीप्त हो जायेगी और भोजन जल्दी पच जाएगा। खाना खाने के बाद वज्रासन पर बैठे।