Friday, June 2, 2023
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जानिए हृदय रोगों में क्यों कारगर है आयुर्वेदिक उपचार | Ayurvedic Medicine for Heart Problems in Hindi

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जानिए हृदय रोगों में क्यों कारगर है आयुर्वेदिक उपचार Ayurvedic Medicine for Heart Problems in Hindi

भारत में हृदय रोग के कारण मरने वालों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ोतरी हुई है। हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें बहुत से युवा भी हृदय आघात से अपने प्राण गंवा बैठे हैं। इसके पीछे यदि कारण की बात की जाए तो आरामदायक जीवनशैली और खाने-पीने की खराब आदतें हो सकती हैं और एक बड़ा ये भी है कि लोग अपने शरीर के प्रति सजग नहीं रहते।

आयुर्वेद में हृदय रोग का पूर्ण इलाज बताया गया है और ऐसी औषधियों का जिक्र भी किया गया है जिससे आप अपने दिल को पूर्णतया स्वस्थ कर सकते हो। इस लेख में आपको हृदय रोग में प्रयोग की जाने वाली सभी आयुर्वेदिक औषधियों (Ayurvedic Medicine for Heart Problems in Hindi) के बारे में बताएंगे। लेकिन आपने इनका प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक से पूछकर ही करना है।

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हृदय रोग के लक्षण (Heart disease Symptoms)

अब जानिये हृदयरोग के सामान्य लक्षण क्या हैं –

आप देखेंगे कि हृदय रोगी के चेहरे का वर्ण विकृत हो जाता है, उसे भोजन करने की इच्छा नहीं होती, बार-बार कफ निकलती है। ज्यादा प्यास लगना, छाती में पीड़ा होना, हिचकी और दम फूलना जैसे कई सामान्य लक्षण हैं।

हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic Medicine for Heart Problems in Hindi)

हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं जैसे धड़कन का अनियमित होना, धमनियों में ब्लॉकेज होना, हार्ट अटैक और हार्ट फेल आदि। तो हर प्रकार के रोग में अलग आयुर्वेदिक औषधि (Ayurvedic Medicine for Heart Problems in Hindi) का प्रयोग किया जाएगा।

हृदय की गति की असंतुलित होने पर कौनसी आयुर्वेदिक औषधि का प्रयोग करें?

हृदय की धड़कन संतुलित करने के लिए आयुर्वेदिक औषधियां –

पुष्करमूलादि चूर्ण –

पोहकरमूल, बिजौरा निम्बू का मूल, सोंठ, कचूर और बीजरहित हर्रे, इन सबको बराबर-बराबर लेकर चूर्ण कर, यवाखार द्रव, गोघृत तथा सेंधानमक मिलाकर पिलाना चाहिए। यदि आप घर पर बनाने में असमर्थ हैं तो आप रेडीमेड भी ले सकते हैं।

कौनसी कंपनी का लें – तनसुख और प्लेनेट आयुर्वेद कंपनी, इन दोनों में से आप किसी भी कंपनी का प्रयोग कर सकते हैं। ये हृदय की धड़कन को संतुलित करने के साथ ही छाती में सुई चुभने जैसी पीड़ा को भी शांत करता है।

बनफ्सा

बनफ्सा आपकी कफ और बुखार को ठीक करने के लिए बहुत लाभकारी है। बुखार की वजह से जब हृदय की धड़कन बढ़ जाती है तो उसमें बनफ्सा बहुत कारगर है।

प्रयोग की विधि – बनफ्सा शर्बत (4 चम्मच) और दशमूल अर्क (4 चम्मच) दोनों में गुनगुने दूध में मिलाकर अच्छे फेंटकर झाग बना लें और सेवन करें। जिन लोगों को डायबिटीज की शिकायत है वे दूसरी विधि अपनाएँ।

दूसरी विधि – बनफ्सा की पत्तियों और फूलों को अच्छे से धोकर दूध में उबालकर रख लें। ठंडा होने पर छाकर इसका सेवन करने से भी हृदय रोगों में लाभ मिलता है।

हृदयप्रदेश में जलन होना और दिल को मजबूत करने के लिए आयुर्वेदिक दवा

ये सब पित्तज हृदयरोग के लक्षण हैं, इनमें निम्नलिखित आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग किया जाएगा –

द्राक्षाद्य घृत

मुनक्का, बरियार का मूल, रास्ना, चीनी, खजूर, शतावर, ऋषभक, नीलकमल, काकोली, क्षीरकाकोली, मेदा, महामेदा और जीवक – इन सबको समभाग लेकर चूर्ण करें तथा उस चूर्ण को चौगुने भैंस के घृत में घी से चौगुना गोदुग्ध डालकर विधिवत घृतपाक करें।

अलसी

अलसी हाई बीपी को नियंत्रित करने में कारगर है और साथ ही हृदय प्रदेश में होने वाली जलन, पीड़ा को भी शांत करती है। इसमें अल्फ़ा-लिनोलेनिक एसिड पाया जाता है जो हृदय रोग से ग्रसित लोगों को फ़ायदा पहुंचाता है।

हृदय गति रुकने जैसे आभास होना और नसों के ब्लॉकेज खोलने के आयुर्वेदिक दवा

ये सब लक्षण कफज हृदय रोग के अंतर्गत होते हैं। इसमें निम्नलिखित आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग (Ayurvedic Medicine for Heart Problems in Hindi) करना चाहिए –

कट्फलादि क्वाथ

कायफल, सोंठ, हर्रे, दारुहल्दी और अतीस – इन सबको समभाग लेकर जौकुट कर लें। इसमें से 20 ग्राम औषध को 250 ग्राम गर्म जल में रात को भिगो दें और सवेरे हाथ से मसलकर, छानकर हृदयरोगी को पिलायें।

कृष्णादि चूर्ण

पीपर, कचूर, पोहकरमूल, रास्ना, मीठा बच, हर्रे और सोंठ – इनके समभाग का चूर्ण बनाकर 2 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ प्रातः-सायं पीने से हृदयरोग नष्ट हो जाता है।

अर्जुनारिष्ट

अर्जुन की छाल से अर्जुनारिष्ट बनाया जाता है। ये आपके हृदय की धमनियों में जो कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है, उसे साफ़ करने का काम करता है और हृदय आघात के खतरे को कम करता है। इसके साथ ही उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स हमारे हृदय को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाती है।

निष्कर्ष

आपको हृदय संबंधी रोग में आयुर्वेदिक औषधियां (Ayurvedic Medicine for Heart Problems in Hindi) ही प्रयोग करनी चाहिए क्यूंकि ऑपरेशन आदि करवाने के बाद शरीर में पहले जैसी बात नहीं रह जाती। किसी कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक से आप अपना उपचार करवा सकते हैं। आयुर्वेदिक औषधियां रोग को जड़ से खत्म करती हैं और शरीर पर कोई साइड-इफ़ेक्ट भी नहीं पड़ता।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न – मैं हृदय रोग के लिए स्वयं की जाँच कैसे करूं?

उत्तर – यदि आपको छाती में दर्द, सीने में जकड़न महसूस हो रही है तो आपको हृदय रोग हो सकता है। इसके अलावा आप ब्लड प्रेशर की जाँच कर सकते हैं, अपनी पल्स रेट से पता कर सकते हैं।

प्रश्न – आपके दिल के लिए कैसे पेय अच्छे हैं?

उत्तर – सबसे पहले पानी पर्याप्त पीएं। नए अध्ययन में ये भी सामने आया है कि कॉफ़ी के 2-3 कप आपके हृदय को स्वस्थ रखते हैं। इसके अलावा गाजर, चकुंदर का रस हृदय को मजबूत बनाता है।

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